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आतंक का अंत : फरार चल रहा सूर्या हांसदा पुलिस एनकाउंटर में ढेर, अपराध और राजनीति का गठजोड़ उजागर

सौरभ राय, आइडियल एक्सप्रेस
Ranchi : महीनों तक पुलिस को चकमा देने वाला पूर्व बीजेपी नेता और वर्तमान में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) से चुनाव लड़ चुका कुख्यात सूर्या नारायण हांसदा आखिरकार कानून के शिकंजे से नहीं बच सका. गोड्डा और साहिबगंज पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में वह देवघर के मोहनपुर इलाके से पकड़ा गया, लेकिन गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद ही ललमटिया के जंगलों में हुए पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. सूत्रों के अनुसार, पुलिस की स्पेशल टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर मोहनपुर में फिल्मी अंदाज में छापेमारी कर हांसदा को दबोचा था. उस पर गोलाबारी, धमकी, रंगदारी, सरकारी काम में बाधा डालने और संपत्ति जलाने जैसे कई गंभीर आरोप थे. पुलिस रिकॉर्ड में वह कोई नया नाम नहीं, बल्कि अपराध की दुनिया का पुराना खिलाड़ी माना जाता था.
सूर्या हांसदा पर कई गंभीर आरोप
10 जनवरी 2020 को अडानी की पावर पाइपलाइन बिछाने के दौरान रंगदारी मांगने, मशीनें जलाकर नष्ट करने और कार्य ठप करने के मामले में भी उसकी गिरफ्तारी हो चुकी थी. इसके अलावा, 27 मई की रात ईसीएल गोलीकांड, साहिबगंज के मिर्जाचौकी में पोकलेन मशीन और डंपर में आगजनी तथा ललमटिया थाना क्षेत्र के बाबूपुर के पास हाइवा में आग लगाने के मामलों में भी वह मुख्य आरोपी था.

सूर्या हांसदा का राजनीतिक सफर
राजनीति में सूर्या हांसदा का सफर भी उतना ही विवादित रहा. वह 2009 और 2014 में जेवीएम के टिकट पर बोरियो विधानसभा से चुनाव लड़ चुका था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. 2019 में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में उतरे और दूसरे स्थान पर रहे. 2024 विधानसभा चुनाव में JLKM से उम्मीदवार बने, लेकिन फिर चुनाव हार गये.
पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में मार गिराया
उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि उसके परिजनों ने की. मां नीलमणि मुर्मू ने बताया कि प्रशासन ने मोहनपुर से सूर्या को पकड़ा था, लेकिन गिरफ्तारी के बाद कहां रखा गया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई. पुलिस का कहना है कि मुठभेड़ के दौरान हांसदा ने भागने और फायरिंग करने की कोशिश की. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह ढेर हो गया. पोस्टमार्टम के लिए उसके शव को सदर अस्पताल लाया गया.
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