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ऑपरेशन सिंदूर पर अपने ही सवालों में उलझा विपक्ष, अपनी ही चाल में फंसे राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी

 

ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर

नई दिल्ली ( IEN )  भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता का दावा किया नहीं कि राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी नेताओं ने तुरंत मुद्दा लपक लिया। विश मंत्री एस. जयशंकर ने किसी संदर्भ में आतंक के खिलाफ कार्रवाई की सूचना पाकिस्तान से साझा करने की बात कही तो उसे देशद्रोह बताते हुए राहुल गांधी ने फिर मोर्चा संभाल लिया।

अब विपक्ष अपने इस रुख को भले ही रणनीतिक और तकनीकी बिंदु पर चिंता जताए, लेकिन अब उन्हीं के पाले के नेताओं के शब्द कांग्रेस को आरोपों को ध्वस्त कर रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर के बाद अब पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद भी मानते हैं कि घरेलू राजनीति अलग है, लेकिन वह आश्वस्त हैं कि सरकार की कार्रवाई सही थी और अमेरिकी हस्तक्षेप के दावे भी खोखले हैं।

दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बावजूद पाकिस्तान जिस तरह से झूठा प्रपंच रच रहा है, उसे बेनकाब करने के लिए भारत सरकार की ओर से सांसदों का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कई देशों में भेजा जा रहा है।इन सात समूहों के सदस्य सांसदों की बैठक मंगलवार को विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ हुई, ताकि एजेंडे के संबंध में विस्तृत जानकारी साझा की जा सके। इसमें शामिल होने के लिए पूर्व विदेश मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद भी पहुंचे।

मध्यस्थता के बयान पर क्या बोले  खुर्शीद?

वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने मीडिया से बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा मध्यस्थता के दावों को इन शब्दों के साथ सिरे से खारिज किया, ‘किसी किस्म का कोई हस्तक्षेप या मध्यस्थता नहीं थी। जो कुछ हुआ, वह दोनों देशों के बीच हुआ। पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से पहल की गई।’

देश पहले, पार्टी बाद में..:  खुर्शीद

सलमान खुर्शीद ने पार्टी लाइन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘देश में राजनीति है, अधिकार हैं, दायित्व हैं, वह अलग हैं और देश के बाहर जाकर जो बोलना है, वह अलग है।’ इसी तरह सपा सांसद राजीव राय बोले कि हम देश की तरफ से जा रहे हैं। देश रहेगा तो राजनीति रहेगी, पार्टी रहेगी।

इन विपक्षी सांसदों का रुख ऑपरेशन सिंदूर  के हर पहलू पर स्पष्ट था। यह मुतमईन नजर आए कि सरकार ने आतंक के विरुद्ध ठोस और मजबूत कदम उठाया है। यही सांसद मजबूती से अब विदेश में भारत का पक्ष रखेंगे। उसके बाद देश में यह मुद्दे विपक्ष की राजनीति को कितना सहारा दे पाएंगे, यह वक्त बताएगा।

बता दें कि पहले तो प्रतिनिधिमंडल में सांसदों को शामिल किए जाने को लेकर कुछ विपक्षी दलों ने राजनीतिक दांव चले। जो शशि थरूर खुद राजनयिक रह चुके हैं, विदेश राज्य मंत्री रह चुके हैं, ऐसे विशेषज्ञ सांसद को शामिल किए जाने को लेकर कांग्रेस संतुष्ट नहीं थी। इसके पीछे यही माना जा रहा है कि थरूर बिना किसी किंतु-परंतु के ऑपरेशन सिंदूर के लिए सेना और सरकार की सराहना कर रहे हैं।

Ashutosh