New Delhi : 7 सितंबर की भारत में देर रात पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा. 27 जुलाई, 2018 के बाद पहली बार देश के सभी हिस्सों से पूर्ण चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा. खगोलविदों के अनुसार, 2022 के बाद भारत में दिखाई देने वाला यह सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण है. एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) की पब्लिक आउटरीच एंड एजुकेशन कमेटी (पीओईसी) की अध्यक्ष और नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे में एसोसिएट प्रोफेसर दिव्या ओबेरॉय ने बताया कि अगले ग्रहण के लिए 31 दिसंबर, 2028 तक इंतजार करना होगा. ओबेरॉय ने बताया कि ग्रहण दुर्लभ होते हैं. यह हर पूर्णिमा या अमावस्या को नहीं होते, क्योंकि चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से 5 डिग्री झुकी है. चंद्र ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्र सतह पर अपनी छाया डालती है.
रात 8:58 बजे से शुरू होगा उपछाया ग्रहण
पीओईसी के अनुसार, उपछाया ग्रहण 7 सितंबर को रात 8:58 बजे शुरू होगा. पृथ्वी की आंतरिक अंधेरी छाया को अंब्रा और धुंधली बाहरी छाया को उपछाया कहा जाता है. जैसे ही चंद्रमा अंब्रा में प्रवेश करता है, हमें सबसे पहले आंशिक ग्रहण दिखाई देता है.
पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने के लिए विशेष उपकरणों की जरूरत नहीं
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बंगलूरू के विज्ञान, संचार, जनसंपर्क एवं शिक्षा (स्कोप) अनुभाग के प्रमुख निरुज मोहन रामानुजम ने कहा कि उपछाया ग्रहण (चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया से ढक जाता है) को बिना सहायता आंखों से देखना कठिन होता है. इसके लिए दूरबीन या टेलीस्कोप की जरूरत होती है. आंशिक ग्रहण (पृथ्वी की छाया चंद्रमा के एक हिस्से को ढक लेती है) बिना किसी सहायता के आसानी से देख सकते हैं. सूर्य ग्रहण के विपरीत पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने के लिए विशेष उपकरणों की जरूरत नहीं है. इसे नंगी आंखों, दूरबीन या टेलीस्कोप से देखा जा सकता है. आंशिक ग्रहण 7 सितंबर को रात 9.57 बजे से देखा जा सकता है.
पूर्ण ग्रहण 82 मिनट की होगी, रात 11:01 से 12:23 बजे तक
पूर्ण ग्रहण चरण रात 11:01 बजे शुरू होने की उम्मीद है. मोहन ने बताया कि चंद्रमा पूर्ण ग्रहण रात 11:01 बजे से रात 12:23 बजे तक रहेगा. इसकी अवधि 82 मिनट होगी. आंशिक चरण रात 1:26 बजे और ग्रहण 8 सितंबर को सुबह 2:25 बजे समाप्त होगा. बंगलूरू स्थित जवाहरलाल नेहरू तारामंडल की पूर्व निदेशक बीएस शैलजा ने बताया कि जब चंद्रमा पूरी तरह से छाया में होता है तो वह आकर्षक तांबे के रंग जैसा लाल हो जाता है.