Patna : बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने आज मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया. कहा कि “आज का यह कैबिनेट निःसंदेह ऐतिहासिक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में हुई बिहार मंत्रिपरिषद की बैठक बिहार के जनसरोकारों, सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी. यह वह कैबिनेट है जिसने हर वर्ग गरीब, महिला, युवा, किसान, श्रमिक, शिक्षक का ख्याल रखा. उन्हें एक नए आत्मविश्वास से भरने का कार्य किया है.”
बिहार की आत्मा को नई ऊर्जा मिली : अशोक चौधरी
अशोक चौधरी ने कहा कि “मैं 2005 से लगातार मंत्री रहा हूँ. छह बार मंत्री पद की जिम्मेदारी निभा चुका हूँ, लेकिन आज पहली बार ऐसी मंत्रिपरिषद की बैठक देखने को मिली है जिसने बिहार की आत्मा को नई ऊर्जा दी है और हमारे युवाओं के लिए अवसरों का स्वर्णिम द्वार खोला है. यह कैबिनेट आम जनमानस की आकांक्षाओं, उनके सपनों और उनकी ज़रूरतों की प्रतिध्वनि है. जो आम आदमी सोचता है, जो बोलता है, जिसकी आशा होती है. आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसे धरातल पर उतारने का साहसी और संवेदनशील कार्य किया है.”
“कैबिनेट के निर्णय सामाजिक न्याय की सर्वोत्तम मिसाल”
ग्रामीण विकास मंत्री ने शिक्षा, सेवा, महिला सशक्तिकरण और युवा अवसरों के संदर्भ में लिये गए निर्णयों की व्याख्या करते हुए कहा, “आज के कैबिनेट में लिया गया निर्णय सामाजिक न्याय की सर्वोत्तम मिसाल है. यदि हम आरक्षण की संरचना देखें तो बिहार में 50% आरक्षण सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को है. 10% आर्थिक रूप से पिछड़े (EWS) को — यह कुल 60% हुआ. इसमें क्षैतिज रूप से 35% महिलाओं के लिए आरक्षित है. इसके साथ एक बड़ी उपलब्धि है कि अब अध्यापक की नियुक्ति में भी 40% आरक्षण उन युवाओं को मिलेगा जिन्होंने बिहार के स्कूलों से मैट्रिक या इंटर किया है. कुल मिलाकर बड़ी आबादी इस संरचना से लाभान्वित होगी. ऐसा किसी राज्य में नहीं हुआ है. यह बिहार मॉडल है, यह नीतीश मॉडल है.”
सीएम नीतीश ने बढ़ाया मानदेय : अशोक चौधरी
अशोक चौधरी ने आगे कहा कि “आज मुख्यमंत्री ने आशा कार्यकर्ताओं, विद्यालयों के शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों जैसे हजारों पंचायत/प्रखंड स्तर के कर्मियों के हित में अभूतपूर्व फैसले लिये हैं. उनका मानदेय बढ़ाया गया है, उन्हें सम्मान मिला है.” उन्होंने बताया कि आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्रखंड व पंचायत स्तर के हजारों लोगों को लाभ पहुँचाया है, आशा वर्करों के लिए मानदेय ₹1500 से बढ़ाकर ₹3000 प्रतिमाह, शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों का मानदेय ₹8000 से बढ़ाकर ₹16000, रात्रि प्रहरियों को ₹5000 के स्थान पर ₹10000 प्रतिमाह देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. यह सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक गरिमा की दिशा में बड़ा कदम है.”
औद्योगिक विकास के लिए निर्णायक पहल : अशोक चौधरी
अशोक चौधरी ने आगे बताया कि बिहार के 9 प्रमंडलों में औद्योगिक विकास के लिए निर्णायक पहल की गयी है. ये फैसले उनके 21वी सदी के आत्मनिर्भर बिहार के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण साबित होगा. इस विषय में विस्तार से बताते हुए श्री चौधरी ने बताया कि “बिहार के नौ प्रमंडलों — औरंगाबाद, नालंदा, मुज़फ्फरपुर, सुपौल, भागलपुर, गोपालगंज, रोहतास, पटना और वैशाली — में भूमि अधिग्रहण एवं स्थायी हस्तांतरण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें कुल हज़ारों एकड़ भूमि औद्योगिक विकास के लिए चिन्हित की गई है. उदाहरण के तौर पर — औरंगाबाद (कुडुमा अंचल): कुल 441.79 एकड़ भूमि, लागत ₹2,84,28,28,415, नालंदा (हसनौत एवं चंडी अंचल): कुल 524.95 एकड़ भूमि, लागत ₹2,64,65,42,281, भागलपुर (गोराडीह): कुल 96.89 एकड़, गोपालगंज (विजयीपुर, खिरीडीह): कुल 32.66 एकड़ भूमि, लागत ₹11,39,01,750, मुज़फ्फरपुर : कुल 700 एकड़ भूमि, लागत ₹2,97,18,27,225, सुपौल: कुल 498.06 एकड़ भूमि, लागत ₹1,51,74,85,547, बक्सर (पीरोडीह): विद्युत परियोजना हेतु 1020.60 एकड़ भूमि का अधिग्रहण स्वीकृत. यह सभी निर्णय बिहार को औद्योगिक उन्नयन और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की ओर अग्रसर करेंगे.”
“जो हाशिये पर थे वे भी विकास की मुख्यधारा में”
उन्होंने कहा, “आज के निर्णय सिर्फ आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं हैं, बल्कि यह सामाजिक समावेशन, आत्मनिर्भरता और गरिमामय जीवन की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक कदम है. यह कैबिनेट उन लोगों के लिए भी एक संदेश है जो अब तक हाशिए पर थे. अब उन्हें भी विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जा रहा है.” अंत में श्री अशोक चौधरी ने कहा कि “यह कैबिनेट नीतीश कुमार जी की वह सोच है जो सत्ता को साधन नहीं, सेवा का माध्यम मानती है. उन्होंने जन सरोकार को शासन की प्राथमिकता बनाया है और यही वजह है कि का मार्गदर्शक बन रहा है.”