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अंतिम जोहार : गुरूजी के अंतिम दर्शन के लिए सड़क पर हाथ जोड़ खड़े रहे लोग, हेमंत सोरेन दिखे बेहद भावुक

सौरभ राय/आइडियल एक्सप्रेस
Ranchi : झारखंड की राजनीति के पुरोधा, आदिवासी समाज के सबसे प्रभावशाली नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन लोगों को बेहद भावुक कर गया. उनका पार्थिव शरीर विशेष विमान से रांची एयरपोर्ट सोमवार को देर शाम लाया गया. इस दौरान लोग बेहद भावुक थे और हाथ जोड़ गुरूजी को प्रणाम कर रहे थे. पूरे रास्त यही नजारा दिखा. मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद मौजूद थे. वे काफी भावुक दिखे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गहरे शोक के साथ अपने पिता की पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट से मोरहाबादी स्थित पारिवारिक आवास तक ले जाने की जिम्मेदारी निभाई. एयरपोर्ट परिसर में ही उन्होंने दिवंगत दिशोम गुरु को श्रद्धासुमन अर्पित किए और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ अंतिम सम्मान दिया.

सड़क किनारे लोगों की लगी रही भीड़
इस दौरान राज्य मंत्रिमंडल के कई सदस्य, झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता, प्रशासनिक अधिकारीगण, पार्टी कार्यकर्ता एवं आमजन भी उपस्थित रहे. पार्थिव शरीर के स्वागत में रांची एयरपोर्ट से लेकर मोरहाबादी तक सड़क किनारे लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. पुष्पवर्षा और नारों के बीच लोगों ने अपने प्रिय नेता को अंतिम बार जोहार किया. पूरे रास्ते पर श्रद्धा और सम्मान का अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला. रांची की सड़कों पर मानो जन सैलाब उमड़ पड़ा हो. हजारों की संख्या में लोग, महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग, युवा और बच्चे अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए सड़क के दोनों ओर कतार में खड़े थे.

‘दिशोम गुरू अमर रहें’ के गूंजते रहे नारे
एयरपोर्ट से जैसे ही फूलों से सजे वाहन में शिबू सोरेन जी का पार्थिव शरीर रवाना हुआ, पूरा रांची शहर झुक गया. मोरहाबादी की ओर जाते इस मार्ग पर लोगों ने हाथों में पुष्प लिए, नारे लगाते हुए, भावुक आंखों से विदाई दी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के झंडे लहराते रहे, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर कई स्थानों पर आदिवासी समुदायों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी. यह एक नायक को उनके ही अंदाज़ में श्रद्धांजलि देने जैसा था. “दिशोम गुरु अमर रहें”, झारखंड के शेर को अंतिम जोहार, जय झारखंड, जैसे नारों से गूंजती फिज़ा में सिर्फ़ राजनीति नहीं, बल्कि भावनाओं का उफान था.

लोगों के दिलों में शोक और गर्व का मिश्रण
सड़क के किनारे खड़े लोगों की आंखों से बहते आंसू बता रहे थे कि शिबू सोरेन सिर्फ़ एक नेता नहीं थे, बल्कि लाखों लोगों की उम्मीदों और संघर्षों की आवाज़ थे. कुछ ग्रामीण महिलाएं अपने पारंपरिक वस्त्रों में, हाथों में दीप और फूल लिए, मौन प्रार्थना करती रहीं. युवाओं के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था उन्होंने मोबाइल से वीडियो बनाए, फूल अर्पित किए और गुरुजी के सिद्धांतों पर चलने का संकल्प लिया.

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