Pakur : झारखंड के पाकुड़ में पत्थर माफिया की बल्ले-बल्ले है. चेकपोस्ट कर्मियों की मिलीभगत से आसानी से पत्थर माफिया अपना काम करा लेते हैं. बिना माइनिंग चालान के भी गाड़ियां आगे बढ़ जाती है. सूत्रों की मानें तो इसके लिए दक्षिणा चढ़ाया जाता है. पाकुड़ के उपायुक्त मनीष कुमार के निर्देशों की अवहेलना की जाती है. इनके लिए कायदे कानून ठेंगे पर हैं. इससे सरकार को राजस्व का घाटा हो रहा है जबकि पत्थर माफिया और मालामाल होते जा रहे हैं. चेक पोस्ट पर मजिस्ट्रेट तैनात रहते हैं, इसके बावजूद मिलीभगत का खेल चलता रहता है.
टेबल के नीचे होता है खेला
उपायुक्त के निर्देश पर पाकुड़ सदर प्रखंड में कुल पांच चेकपोस्ट लगाए गए हैं. इसके बावजूद ओवरलोडेड गाड़ियां को और बिना माइनिंग चालान के भी हरी झंडी दिखा दी जाती है. इसमें सबसे मालदार चेकपोस्ट है चांदपुर. झारखंड और बंगाल बॉर्डर पर ये चेकपोस्ट है. बंगाल की ओर इसी रास्ते से सभी गाड़ियां पास करती है. चांदपुर चेक पोस्ट पर सीसीटीवी कैमरा से भी निगरानी की जा रही. इसके बावजूद भी ओवरलोड गाड़ियां गुजर जाती हैं. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या बिना चेक पोस्ट के मजिस्ट्रेट की मिलीभगत से यह संभव है. दूसरे चेकपोस्टों का भी कमोबेश यही हाल है. काशीला चेकपोस्ट, कुसमा फाटक चेकपोस्ट चांदपुर चैकपोस्ट, भगत सिंह चौक चैकपोस्ट और पत्थर घाटा चैकपोस्ट में पैसों का खेल चलता रहता है. गाड़ियां पास कराने के लिए माइनिंग चालान की जरूरत नहीं है बल्कि टेबल के नीचे खेला करना पड़ता है. मानसिंहपुर, सीतापहाड़ी, मालपहाड़ी आदि गांव के क्रशर से ओवरलोड चिप्स लदी गाड़ियां थाना पाकुड़, मुफ्फसिल थाना के मुख्य द्वार से गुजरती है. डीसी के निर्देश के बावजूद जिले में ओवरलोड वाहनों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. सड़कों पर भी ओवरलोड वाहन बेधड़क होकर दौड़ रहे हैं. इससे सरकार के राजस्व को भी चूना लग रहा है. वहीं जब इसकी सूचना एसडीओ को दी गयी तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जायेगी.