Bhojpur : भोजपुर जिले में अवैध बालू खनन के खिलाफ प्रशासन सख्त नजर आ रहा है. बालू तस्करों पर नकेल कसने की तैयारी में प्रशासन जुट गया है. इसी क्रम में बबुरा थाना क्षेत्र अंतर्गत कमालूचक सेमरा गांव के समीप पुलिस पिकेट का निर्माण कराया गया है. यह कदम बरसात को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. जब सोन नदी में जल स्तर बढ़ने के साथ ही अवैध बालू खनन की गतिविधियों में तेजी आ जाती है. भोजपुर के एसपी के निर्देश पर पिकेट पर 10 पुलिस जवानों की तैनाती की गयी है. ऐसे जवानों को यहां तैनात किया गया है जो अवैध खनन रोकने के कार्य में प्रशिक्षित हैं.
ड्रोन और मोटरबोट से होगी निगरानी
पिकेट पर तैनात जवानों को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा. इसमें हाई-स्पीड मोटरबोट और उच्च रेज़ोल्यूशन कैमरे से युक्त ड्रोन शामिल हैं. ये उपकरण सोन नदी क्षेत्र की निगरानी और अवैध गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उपयोग किए जाएंगे. ड्रोन की मदद से सोन नदी के डोरीगंज, मनेर और अन्य आस-पास के क्षेत्रों से आने वाली नावों पर पैनी नजर रखी जाएगी. अधिकारियों का मानना है कि इस निगरानी प्रणाली से नदी के उस पार से बालू लेकर आने वाली अवैध नावों को समय रहते रोका जा सकेगा.
पिकेट का निरीक्षण
इस बीच कमालूचक सेमरा में निर्मित इस नए पुलिस पिकेट का निरीक्षण जिला खनन पदाधिकारी, भोजपुर और थाना अध्यक्ष, बबुरा ने संयुक्त रूप से किया. निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने जवानों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए और उन्हें इस अभियान को गंभीरता से लेने को कहा.
प्रशासन सख्त, अवैध खनन करने वालों पर कसेगा लगाम
भोजपुर जिले में सोन नदी के आसपास अवैध बालू का खनन लंबे समय से एक गंभीर समस्या बनी हुई है. इससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचता है, बल्कि पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है. प्रशासन द्वारा हालिया कदम इसी दिशा में एक बड़ा प्रयास है. एसडीपीओ रंजीत कुमार सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा- “खनन माफियाओं को बख्शा नहीं जाएगा.” उन्होंने यह भी कहा कि आगामी मॉनसून सीजन में जलस्तर बढ़ने पर नावों की आवाजाही बढ़ेगी, ऐसे में सभी जवानों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.
स्थानीय जनता में विश्वास और संतोष
पुलिस पिकेट बनाने से स्थानीय ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है. लोगों का कहना है कि यदि यह व्यवस्था लगातार बनी रही तो सोन नदी से जुड़े इलाकों में अवैध खनन पर निश्चित रूप से रोक लगेगी. इससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा होगी, बल्कि इलाके में कानून व्यवस्था भी बेहतर होगी.
















