नीतीश सरकार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अहम फैसले लिए गए, विकास को दी जा रही प्राथमिकता
Patna : बिहार के छह हवाई अड्डों को नया जीवन मिलेगा. उड़ान योजना के तहत इसका विकास होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया. हवाई संपर्क से पर्यटन और निवेश को बढ़ावा मिलेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को मुख्य सचिवालय स्थित सभागार में बिहार कैबिनेट की अहम बैठक हुई. बैठक में कुल 20 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई. इसमें राज्य की आधारभूत संरचना और विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.
कैबिनेट में 20 प्रस्तावों पर मुहर, कई महत्वपूर्ण फैसले
कैबिनेट की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण फैसले ये लिया गया कि राज्य के छह छोटे हवाई अड्डों का पुनर्विकास होगा. कैबिनेट ने मधुबनी, वीरपुर, मुंगेर, वाल्मीकिनगर, मुजफ्फरपुर और सहरसा स्थित हवाई अड्डों को केंद्र सरकार की उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित करने की मंजूरी दे दी गयी. इसके लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और बिहार सरकार के बीच एमओयू (MoU) को स्वीकृति प्रदान की गई है. यह साझेदारी बिहार में हवाई संपर्क को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
हवाई संपर्क से खुलेगा संभावनाओं का द्वार
सरकार का मानना है कि इस निर्णय से छोटे शहरों और पिछड़े इलाकों को हवाई नेटवर्क से जोड़ने में मदद मिलेगी. इससे न केवल आम लोगों की यात्रा आसान होगी, बल्कि पर्यटन, निवेश और क्षेत्रीय आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा.
क्या है उड़ान योजना?
‘उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान)’ केंद्र सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है, जिसका उद्देश्य देश के छोटे और मंझोले शहरों को हवाई सेवाओं से जोड़ना है. इस योजना के तहत हवाई यात्रा को सुलभ और सस्ता बनाना प्रमुख लक्ष्य है. बिहार सरकार का यह कदम राज्य के संतुलित क्षेत्रीय विकास और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की नीति के अनुरूप है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि “विकास तभी सार्थक है, जब वो राज्य के हर कोने तक पहुँचे.”
संभावनाओं से भरपूर है ये इलाके
मधुबनी और वाल्मीकिनगर में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. मुंगेर और मुजफ्फरपुर औद्योगिक और शैक्षणिक दृष्टि से अहम है. सहरसा और वीरपुर को जोड़ने से कोसी और सीमांचल क्षेत्र को नई गति मिलेगी. इस फैसले को बिहार की आधारभूत संरचना और क्षेत्रीय संतुलन की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है.
















