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मैं यूक्रेन संकट को सुलझाने के लिए चीन और भारत के प्रयासों की सराहना करता हूं : पुतिन

SCO Summit : शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के सदस्यों के सत्र को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने यूक्रेन के साथ जारी रूस के संघर्ष के दौरान शांति प्रयासों के लिए भारत और चीन को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं यूक्रेन संकट को सुलझाने के लिए चीन और भारत के प्रयासों की सराहना करता हूं.’ इस दौरान पुतिन ने व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो के इस दावे का भी खंडन किया कि यूक्रेन ‘मोदी का युद्ध’ है. पुतिन ने कहा, ‘मैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अपनी अलास्का बैठक के विवरण द्विपक्षीय बैठकों के दौरान नेताओं को बताऊंगा.’ उन्होंने मॉस्को के इस रुख को दोहराया कि यूक्रेन में संकट किसी आक्रमण के कारण नहीं, बल्कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों की ओर से समर्थित कीव में तख्तापलट के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का शिखर सम्मेलन में हुई सहमति यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करती है.
पुतिन ने यूक्रेन युद्ध के गिनाएं कारण
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में कहा कि कीव को नाटो में शामिल करने के पश्चिम के निरंतर प्रयास यूक्रेनी संघर्ष के मुख्य कारणों में से एक हैं. पुतिन ने दावा किया कि यह संकट मुख्य रूप से 2014 में कीव में हुए तख्तापलट की वजह से उपजा, जिसे पश्चिम ने उकसाया था. उन्होंने कहा, ‘संकट का दूसरा कारण यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के पश्चिम के निरंतर प्रयास हैं. जैसा कि हमने बार-बार जोर दिया है, यह रूस की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है.’
नवारो ने कहा था- मोदी का युद्ध
दरअसल, नवारो ने भारत पर सस्ते तेल खरीद के जरिए रूस के युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. नवारो ने कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देता है तो उसे अमेरिकी टैरिफ में सीधे 25% की छूट मिल जाएगी. व्हाइट हाउस के शीर्ष अधिकारी ने यह भी कहा था कि यूक्रेन में शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर जाता है. उन्होंने कहा था कि मेरा मतलब है, यह मूलतः मोदी का युद्ध है, क्योंकि शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर जाता है. बता दें कि फरवरी 2014 में राजधानी कीव में प्रदर्शनकारियों और सरकारी बलों के बीच घातक झड़पों के परिणामस्वरूप तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटा दिया गया था. रूसी राष्ट्रपति के अनुसार, 2014 में हुए तख्तापलट के बाद देश के उस राजनीतिक नेतृत्व को हटा दिया गया, जिसने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का समर्थन नहीं किया था.
एससीओ की 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी स्थापना
एससीओ की स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी. शुरुआत में इसमें छह देश शामिल रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे. भारत और पाकिस्तान 2017 में इसमें शामिल हुए. इसके बाद 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस इसमें शामिल हुए.
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