New Delhi : आप सभी को अंतरिक्ष से नमस्कार. मैं यहां बिल्कुल एक बच्चे की तरह चीज़ें सीख रहा हूं.” यह संदेश ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से भेजा है. उन्होंने संदेश में कहा- “मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर रोमांचित हूं. वाह, यह कैसी यात्रा थी. जब मैं लॉन्चपैड पर कैप्सूल में बैठा था, तो मेरे दिमाग में एक ही विचार था कि चलो बस चलते हैं. जब यात्रा शुरू हुई, तो यह कुछ ऐसा था- आप सीट पर पीछे की ओर धकेले जा रहे थे. यह एक अद्भुत यात्रा थी. और फिर अचानक कुछ भी नहीं महसूस हुआ, जैसे आप शून्य में तैर रहे हैं. मैं एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं, अंतरिक्ष में कैसे चलना और खाना है”
अंतरिक्ष में गये हैं चार यात्री
शुभांशु शुक्ला एक्स-4 मिशन पर सवार चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं, उनके साथ कमांडर पैगी व्हिटसन, जो नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और तीन पिछले मिशनों की अनुभवी हैं, और हंगरी के मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की हैं. क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान के अंदर बैठे शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष अनुभव को साझा किया. अंतरिक्ष यान पर माइक्रोग्रैविटी के अनुभव पर टिप्पणी की.

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय
शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बन गए. वहीं 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बन गए. अंतरिक्ष में जाने वाले अंतिम भारतीय विंग कमांडर राकेश शर्मा, अप्रैल 1984 में एक संयुक्त भारत-सोवियत मिशन के हिस्से के रूप में उड़ान भर चुके हैं. इस मिशन को मूल रूप से 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन मौसम संबंधी बाधाओं और फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल के साथ तकनीकी समस्याओं के कारण कई बार इसे स्थगित करना पड़ा. नासा, स्पेसएक्स और एक्सिओम की टीमों ने सफल प्रक्षेपण से पहले विसंगतियों को दूर करने मं लगभग एक महीना लगा.

















